जुर्म के जलजले, सहते रहोगे कब तलक।। जुर्म के जलजले, सहते रहोगे कब तलक।।
बेहिसाब सी है ये जिंदगी लेकिन हर रोज हिसाब मांगती है। बेहिसाब सी है ये जिंदगी लेकिन हर रोज हिसाब मांगती है।
चाहो तो चाहो तो
उनकी शायद कोई कमी थी ही नहीं खुद ही गलतियों की गठरी बना आया हूँ। उनकी शायद कोई कमी थी ही नहीं खुद ही गलतियों की गठरी बना आया हूँ।
इसके लिए उम्मीदों को कभी-कभी दरकिनार कीजिए ! इसके लिए उम्मीदों को कभी-कभी दरकिनार कीजिए !
चंद पलों की मोहलत भी साथ अपने लाना मैंने बातों का पुलिन्दा फैला रखा है चंद पलों की मोहलत भी साथ अपने लाना मैंने बातों का पुलिन्दा फैला रखा है